टेस्ट ऑफ बिहार@पटना.
राजधानी पटना से महज 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आरा का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. डिहरी से निकलने वाली सोन की प्रमुख 'आरा नहर' भी यहीं से होकर जाती है, जिसके कारण भी इस शहर का नाम आरा पड़ा. आरा इतना प्रमुख शहर है कि अंग्रेजों को 1865 में इसे नगरपालिका का दर्जा देना पड़ा था. गंगा और सोन की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण यह अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरण केंद्र है. रेल मार्ग और पक्की सड़क द्वारा यह पटना, वाराणसी, सासाराम आदि से सीधा जुड़ा हुआ है. बाबू कुंवर सिंह की यह धरती ना केवल वीरता बल्कि अपने स्वाद की वजह से भी जानी जाती है. एक ऐसा स्वाद जो पूरे बिहार में केवल यहीं बनती है. मैदे, बेसन, आटे से बनने वाली यह नमकीन कोई और नहीं बल्कि मठरी है. इसका स्वाद ना केवल सुबह की चाय पर ली जाती है बल्कि यात्रा पर भी इसका स्वाद एक विशेष अनुभव देता है. बेसन की मठरी आरा का ब्रांड विशेष पकवान है. मठरी को आप लंबे समय तक स्टोर कर के रख सकते हैं. मठरी बनाने की विशेषज्ञ गीता जैन बताती हैं कि उन्हें तरह-तरह का पकवान बनाना बेहद पसंद है. बेसन की मठरी से खास लगाव है क्योंकि इसको आप स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं.
ऐसे बनाएं मठरी:
आप मैदा 500 ग्राम, बेसन 250 ग्राम, जीरा एक चाय चम्मच, लाल मिर्च पाउडर आधा चाय चम्मच, हींग-दो चुटकी पीसा हुआ लें और साथ में नमक स्वादानुसार रखें. रिफाइंड तेल भी अलग से रख लें. मैदा में रिफाइंड तेल और नमक डाल कर एक साथ मिक्स कर लें. हल्के गर्म पानी से मैदा को कड़ा गूंथ लें. हींग को थोड़ा पानी में घोल कर रख लें. भरावन के लिए बेसन में रिफाइंड तेल, नमक, जीरा, लाल मिर्च पाउडर और हींग के साथ मिलाकर दस मिनट के लिए रख दें. फिर से बेसन में पानी की कुछ छीटें देकर बेसन को भुरभुरा गूंथ लें. अब गूंथे हुए मैदे की लोई में बेसन को भरें. अब लोई को हल्का मोचा बेल लें. बेली हुई मठरी में कांटे वाले चम्मच से छेद कर लें. अब एक कढ़ाई में रिफाइंड तेल को मध्यम आंच पर गर्म करें. फिर मठरी को डाल कर दोनों तरफ गुलाबी होने तक तल कर निकाल लें. जब मठरी ठंडा हो जाये तो आप इसे एयर टाइट डब्बे में रखे. इसे आप कभी भी खा सकते हैं.
राजधानी पटना से महज 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आरा का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. डिहरी से निकलने वाली सोन की प्रमुख 'आरा नहर' भी यहीं से होकर जाती है, जिसके कारण भी इस शहर का नाम आरा पड़ा. आरा इतना प्रमुख शहर है कि अंग्रेजों को 1865 में इसे नगरपालिका का दर्जा देना पड़ा था. गंगा और सोन की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण यह अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरण केंद्र है. रेल मार्ग और पक्की सड़क द्वारा यह पटना, वाराणसी, सासाराम आदि से सीधा जुड़ा हुआ है. बाबू कुंवर सिंह की यह धरती ना केवल वीरता बल्कि अपने स्वाद की वजह से भी जानी जाती है. एक ऐसा स्वाद जो पूरे बिहार में केवल यहीं बनती है. मैदे, बेसन, आटे से बनने वाली यह नमकीन कोई और नहीं बल्कि मठरी है. इसका स्वाद ना केवल सुबह की चाय पर ली जाती है बल्कि यात्रा पर भी इसका स्वाद एक विशेष अनुभव देता है. बेसन की मठरी आरा का ब्रांड विशेष पकवान है. मठरी को आप लंबे समय तक स्टोर कर के रख सकते हैं. मठरी बनाने की विशेषज्ञ गीता जैन बताती हैं कि उन्हें तरह-तरह का पकवान बनाना बेहद पसंद है. बेसन की मठरी से खास लगाव है क्योंकि इसको आप स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं.
ऐसे बनाएं मठरी:
आप मैदा 500 ग्राम, बेसन 250 ग्राम, जीरा एक चाय चम्मच, लाल मिर्च पाउडर आधा चाय चम्मच, हींग-दो चुटकी पीसा हुआ लें और साथ में नमक स्वादानुसार रखें. रिफाइंड तेल भी अलग से रख लें. मैदा में रिफाइंड तेल और नमक डाल कर एक साथ मिक्स कर लें. हल्के गर्म पानी से मैदा को कड़ा गूंथ लें. हींग को थोड़ा पानी में घोल कर रख लें. भरावन के लिए बेसन में रिफाइंड तेल, नमक, जीरा, लाल मिर्च पाउडर और हींग के साथ मिलाकर दस मिनट के लिए रख दें. फिर से बेसन में पानी की कुछ छीटें देकर बेसन को भुरभुरा गूंथ लें. अब गूंथे हुए मैदे की लोई में बेसन को भरें. अब लोई को हल्का मोचा बेल लें. बेली हुई मठरी में कांटे वाले चम्मच से छेद कर लें. अब एक कढ़ाई में रिफाइंड तेल को मध्यम आंच पर गर्म करें. फिर मठरी को डाल कर दोनों तरफ गुलाबी होने तक तल कर निकाल लें. जब मठरी ठंडा हो जाये तो आप इसे एयर टाइट डब्बे में रखे. इसे आप कभी भी खा सकते हैं.
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