Saturday, October 21, 2017

नवादा के पकरीबरावां के बरा की कुरकुराहट के क्या कहने

#TasteOfBihar3
पटना
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नवादा के पकरीबरावां प्रखंड में मिलने वाली मिठाई 'बरा' की प्रसिद्धि बिहार के साथ ही देश के विभिन्न प्रदेशों तक है. इस मिठाई के साथ पकरीबरावां का नाम कुछ इस कदर जुड़ा है कि लोग मशहूर बरा के नाम पर इस कस्बे का नाम रखे जाने की बात बताते हैं. इस बाजार से गुजरने वाले पर्यटक हो या तीर्थयात्री इस मिठाई का स्वाद चखना नहीं भूलते. पकरीबरावां की अनोखी मिठाई बरा का समृद्ध इतिहास रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि आजादी के पूर्व दुल्लीचंद नामक कारोबारी द्वारा इस मिठाई का निर्माण शुरू किया गया था. स्वादिष्ट व खास्ता होने के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़नी शुरू हो गयी थी.
इससे एक मशहूर कहावत भी जुड़ी हुई है कि उस समय इस मिठाई पर अगर एक रुपये का सिक्का गिरा दिया जाये तो वह मिठाई टूटकर कई भागों में बिखर जाता था. इसकी पुष्टि इसी कारोबारी परिवार के रवि शंकर पप्पू करते हैं. अभी भी दुल्लीचंद के कई परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही मुख्यालय में कई दर्जनों दुकानें हैं. बरा मिठाई के कारोबार ने यहां कुटीर उद्योग का रूप ले रखा है.
पहले राष्ट्रपति राजेन बाबू ने भी चखा था स्वाद
कई मशहूर हस्तियों द्वारा इस मिठाई का स्वाद चखा जा चुका है और इसकी प्रशंसा भी हो चुकी है. यहां के दुकानदार बताते हैं कि 1961 ई में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद ने नवादा-कौआकोल मार्ग से सेखोदेवरा आश्रम जाने के क्रम में यहां रूककर इस बरा मिठाई का स्वाद चखे थे. तब उन्होंने इस मिठाई की भूरी-भूरी प्रशंसा भी की थी. इसके साथ ही अब्दुल गफ्फार खां और लोकनायक जय प्रकाश नारायण सहित कई महान विभूतियों ने इसका स्वाद लिया था. अभी यह मिठाई मात्र 80 रुपये प्रति किलो बिकती है. बरा की पुरानी दुकान रस महल के मालिक रविशंकर पप्पू ने बताया कि इसके अलावा शुद्ध घी से मिलने वाली मिठाई 250 रुपये प्रति किलो बिकती है, इसे शुद्ध घी में बनाया जाता है. महंगाई की मार से अब यह मिठाई डालडा और रिफाइन तेल से बनाई जाती है. फिर भी यह मिठाई अन्य मिठाईयों से स्वादिष्ट और सस्ती है.

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