पटना.
शेखपुरा भले 31 जुलाई 1994 में मुंगेर से टूट कर नया जिला बना लेकिन यहां एक बेहतरीन स्वाद 75 साल से जिंदा है. यह स्वाद छेना मुरकी का है. इसमें साॅफ्ट पनीर है, मिठास है और उस पर जबरदस्त स्वाद है जो एक बार में रस घोल जाती है. जब आप बिहार के इस दूसरे सबसे छोटे जिले में चाहे जिस भी रास्ते से प्रवेश करेंगे तो छोटी-छोटी पहाड़ियां आपका स्वागत करती हैं. यहां की पहाड़ियां खनन के कारण लगातार छोटी होती जा रही है लेकिन यह भी सच्चाई है कि यही खनन यहां की जिंदगी को गति भी देती है. क्रशर की कर्कश आवाज आपके कानों को नहीं भाती है लेकिन यहां के छेना मुरकी का स्वाद इतना भाता है कि इसकी खुशबू सऊदी अरब तक फैलती है. यदि आप बिहारशरीफ के रास्ते से बरबीघा होते हुए शेखपुरा आएंगे तो यहां के कटरा चौक पर सूरज हलवाई के साथ आधा दर्जन अन्य दुकानदार अपनी स्पेशल छेना मुरकी के साथ दुकान सजाए मिलेंगे. 200 रुपये किलो मिलने वाली यह मिठाई इतनी खास है कि शाम तक सभी मिठाई खत्म हो जाते हैं. इसकी प्रसिद्धि ऐसी है कि हज यात्री अपने साथ बतौर संदेश इसे सऊदी अरब अपने चाहने वालों तक ले जाते हैं.
सॉफ्ट पनीर को चासनी में खौलाकर बनायी जाती है छेना मुरकी
सत्तर वर्षीय सूरज गुप्ता बताते हैं कि उनके पिताजी गणेश हलवाई ने इस स्वाद का ईजाद किया था. 75 साल से यह मिठाई यहां बेची जा रही है. इस स्वाद को अंग्रेज अधिकारी भी पसंद करते थे. उन्हें याद है कि वे 8 रुपये प्रति किलो की दर से इस मिठाई को बेचना शुरू किया उस वक्त 60 पैसे प्रति किलो दूध मिलता था. वे कहते हैं कि भैंस के गाढ़े दूध से ही वे पनीर निकालते हैं. चार किलो दूध से एक किलो सॉफ्ट पनीर निकाला जाता है. जिसे लोग पहली नजर में छेना कहते हैं. इसके नाम के पीछे भी यही कारण है. इस पनीर को चीनी की पतली चासनी में खौलाया जाता है और उसके बाद छानकर निकाल दिया जाता है. सूखने के बाद पनीर पर चासनी का हल्का लेप बनकर चढ़ जाता है और उसके बाद गर्मागर्म परोसा जाता है. इसकी खासियत यह है कि सात दिनों तक यह खराब नहीं होता है तो इसे आप स्टोर कर भी रख सकते हैं. अगली बार अाप भी यदि शेखपुरा आइए तो छेना मुरकी की स्वादिष्ट फिरकी जरूर लीजिए.
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