Monday, November 27, 2017

इस ठंडी में हॉट गुलाबजामुन के लिए पहुंचिए बिहार की सबसे बड़ी इलेक्ट्राॅनिक मंडी



पटना.
गुलाब जामुन का इतिहास उतना ही दिलचस्प है जितना इसका स्वाद. कोई कहता है कि यह फारस से आया तो कोई बताते हैं कि तुर्की से पहले पहल आया. कई इतिहासकार कहते हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां के लिए भोजन बनाने वाला महाराज ने एक प्रयोग के तौर पर गुलाब जामुन का इजाद किया था. दक्षिण एशिया में पहली बार मध्य एशिया के तुर्की आक्रमणकारियों द्वारा गुलाब जामुन को पेश किया गया था. गुलाब जामुन असल में पर्शियन नाम है. उसमें गुल का मतलब होता है फूल और जामुन का मतलब होता है पानी. दक्षिण एशिया में इसे गुलाब जामुन के ही नाम से जानते हैं लेकिन अरब और ईरान में इसे लुक़मत अल क़ादी कहते हैं. लुक़मत अल क़ादी आटे से बनाया जाता है. आटे की गोलियों को पहले तेल में तला जाता है फिर शहद की चाशनी में डुबा कर रखा जाता है फिर इसके ऊपर चीनी छिड़की जाती है लेकिन भारत में शहर दर शहर इसके बनाने के तरीके एक समान हैं.
इस ठंडी में हॉट गुलाब जामुन के लिए पहुंचिये इलेक्ट्रॉनिक सामानों की सबसे बड़ी मंडी
अपने बिहार में भी कई जगह के गुलाब जामुन प्रसिद्ध हैं लेकिन आज राजधानी के बाकरगंज का सौंधा और रसीला गुलाब जामुन चखिए. बाकरगंज यूं तो राज्य की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मार्केट की मंडी है लेकिन यहीं पर रामसेवक और गोपाल प्रसाद का खास गुलाब जामुन बेहद प्रसिद्ध है. अशोक राजपथ और गांधी मैदान की ओर आने वाले लोग इनके स्वाद के खूब कद्रदान हैं. 1965 से यहां पर दो पैसे में मिलने वाला गुलाब जामुन आज 7 रुपये प्रति पीस कीमत का हो गया है. आलमगंज, पटना सिटी से चलकर आये रामसेवक प्रसाद ने यहां छोटी सी दुकान लगायी जो अब उनके पुत्र और नाती पोते संचालित कर रहे हैं. रोज तीन सौ से चार सौ पीस गुलाब जामुन की बिक्री बहुत आराम से हो जाती है. रामसेवक यादव के पुत्र गोपाल प्रसाद यादव कहते हैं कि छेना, खोया और मैदा के साथ शक्कर की पतली चाशनी बस आपके जिह्वा पर रस घोल देगी. खोया अधिक रहने के कारण सौंधा स्वाद यहां आने को मजबूर कर देता है. अशोक राजपथ में बीएन कॉलेज, पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज से लेकर एनआइटी तक इनके रेगुलर खरीदार हैं और बाकरगंज बाजार में रोज दूर दूर से आने वाले ग्राहक भी यहां का पता नहीं भूलते. इसके साथ ही व्यवहार न्यायालय और कलेक्ट्रेट के कर्मचारी इस स्वाद के कद्रदान हैं.
प्रभात खबर में 26 नवंबर 2017 को प्रकाशित
http://epaper.prabhatkhabar.com/c/24041353

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