Sunday, November 5, 2017

जिह्वा से सीधे दिल तक पहुंचेगा आरा के खुरमा का स्वाद



-यह लजीज स्वाद केवल आरा में ही मिलेगा साहब
पटना
.
बिहार का आरा शहर अनेक मामलों में खास रहा है. प्रसिद्ध इतिहासकार बुकानन ने बताया था कि इस नगर का नाम आरा इस कारण पड़ा क्योंकि यह गंगा के दक्षिण में ऊंचे स्थान पर स्थित था. आड़ या अरार में होने के कारण इस शहर का नाम 'आरा' रखा गया. 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है. आरा से ही प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण, जगजीवन बाबू, रामसुभग सिंह जैसी हस्तियां जुड़ी रही है. इसी शहर में एक खास मिठाई खुरमे का स्वाद भी इतना ही खास है. केवल छेना और चीनी से बनने वाली ये मिठाई आरा के अलावा बिहार में भी कहीं और नहीं मिलती है.
देखने में अनगढ़ लेकिन स्वाद रसीला
देखने में बिल्कुल अनगढ़ की तरह दिखता है लेकिन अंदर से मिठास के साथ साथ इतना रसीला होता है कि स्वाद जिह्वा से सीधा दिल में उतर जाये. बिल्कुल भोजपुरी जवानों की तरह. भोजपुर के लोग बातचीत में जैसे ठेठ होते हैं अंदर से उतने ही कोमल, मीठे तथा रसीले होते हैं. आरा की यह बहुत ख़ास और लजीज मिठाई यदि आपने नहीं चखी है तो समझिये कि एक बेहतरीन बिहारी टेस्ट से वंचित हैं.
कीमत है महज 250 रुपये प्रति किलो
आरा के गौसगंज मुहल्ले में इस मिठाई को बनाने वाले काफी कारीगर हैं. सुमन चौरसिया बताते हैं कि शुद्ध दूध के छेना से यह मिठाई बनायी जाती है. जिसमें हल्के चीनी का प्रयोग किया जाता है और फिर उतनी ही हल्की चासनी बनायी जाती है. छेने को चौकोर या तिकोर साइज देकर इसे हल्का तलकर अंतिम रूप दिया जाता है और चासनी में थोड़ी देर डुबोने के बाद निकाल लिया जाता है. इसके बाद हम इसे 250 रुपये प्रति किलोग्राम बेचते हैं. महंगाई के कारण पिछले साल भर से यह रेट है नहीं तो डेढ़ सौ से दो सौ रुपये ही प्रति किलो इसे बेच देते थे. इस मिठाई की प्रसिद्धि बिहार के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में है. दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले विश्व व्यापार मेले में भी इसका स्टॉल लगता है.
http://epaper.prabhatkhabar.com/c/23466295

No comments:

Post a Comment