Thursday, January 11, 2018

खोये और देसी घी का इश्किया=थावे गोपालगंज की पेड़किया


पटना.  

गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर सिवान जाने वाले मार्ग पर थावे में मां थावेवाली का एक प्राचीन मंदिर है. मां थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी भक्तजन पुकारते हैं. मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कमाख्या स्थान से चलकर यहां पहुंची थीं. कहा जाता है कि मां कमाख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वर में प्रतिष्ठित), पटना (यहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई), आमी (छपरा जिला में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान) होते हुए थावे पहुंची थीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दिए थे. देश की 52 शक्तिपीठों में से एक इस विख्यात मंदिर के पास ही एक बेहतरीन स्वाद पेड़किया के रूप में मौजूद है. यहां दर्जनों पेड़किया की दुकान आपका स्वागत करेगी. इस खास बिहारी स्वाद में खोये और देसी घी का इश्किया मेल है.

दूध को जलाकर बनाया जाता है खोया इसके बाद डालते हैं देसी घी 

प्रसिद्ध गाैरीशंकर मिष्ठान्न भंडार के संचालक भगवान जी प्रसाद कहते हैं कि पहले हम दूध को खूब खौलाकर जलाते हैं और खोया बनाते हैं. इसके बाद मैदा और देसी घी से मिश्रण बनाते हैं और एक से डेढ़ घंटे में पेड़किया बनाते हैं. गौरी शंकर जी को गुजरे तो 40 साल हो गया लेकिन यहां उनकी तीसरी पीढ़ी कारोबार को आगे बढ़ा रही है. गौरीशंकर जी के नाती रिंकू बताते हैं कि चैत्र मेला से शुरू होने वाला इनका कारोबार सालों भर चलता है. इसकी प्रसिद्धि इतनी कि पटना में भी इसका ब्रांच खोलना पड़ा है. इतनी महंगाई के बाद भी 140 रुपये प्रति किलो के भाव में बहुत आसानी से यह खास स्वाद मिल जाता है. जो भी यहां पूजा करने के लिए पहुंचते हैं अपने साथ पेड़किया ले जाना नहीं भूलते. इलाके में आने वाले मेहमान हों या फिर कहीं दूर संदेश भेजना हो, यहां का गर्मागर्म पेड़किया ही पहली और अाखिरी पसंद है.


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