Thursday, April 26, 2018

हिन्दुस्तानी तहजीब की बिहारी पहचान है ''मगही पान''

 पटना.
लंबे अरसे से पान हिंदुस्तानी तहज़ीब का एक अहम हिस्सा रहा है. तहजीब से इतर धार्मिक रीति-रिवाजों में भी इसकी गहरी मान्यता है. इस देश के एक बड़े हिस्से में पान खाना और खिलाना समाजिक राब्ते और रिश्तों की गहराई बढ़ाने, मेहमान-नवाज़ी की रस्म का रंग चटख लाल करने का अहम ज़रिया है. इस लाली का रंग हमारे बिहार के मगही पान में दिखाई देता है. बिहार की कुछ बेहद नामचीन पहचानों में एक पहचान यहां का मशहूर मगही पान भी है.क्योंकि मगही पान सर्वोत्तम है. मगही मागधी का अपप्रंश है जो मगध में रहने वाले और यहां पाये जाने वाले के लिए प्रयोग में आता है. जो अब मगही हो गया है. मगही भाषा, मगही लोग और मगही पान.
मगध के तीन जिलों में पान की खेती होती है
मगध के मुख्यत: तीन जिलों में पान की खेती होती है. ये जिले हैं नवादा, नालंदा तथा औरंगाबाद. कोमलता एवं लाजवाब स्वाद के लिए पूरे देश में मगही पान प्रसिद्ध है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और आकार दिल की तरह होता है. स्वाद ऐसा जो मुंह में घुल जाये. इसी कारण मार्च महीने में जिन तीन बिहारी स्वाद को ग्लोबल पहचान मिली है. उसमें मगही पान भी शामिल है, जिसको खांटी बिहारी पहचान मिल गयी है़ ज्योग्राफिकल इंडिकेशन जर्नल ने बिहार के मगही पान स्वाद को बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत जीआइ टैग दिया है़ मगही पान के लिए उत्पादक कल्याण समिति देवरी (नवादा) ने आवेदन किया था.
कई औषधीय गुणों का स्वामी है पान
भारतीय संस्कृति में पान को हर तरह से शुभ माना जाता है. धर्म, संस्कार, आध्यात्मिक एवं तांत्रिक क्रियाओं में भी पान का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. इसके अलावा पान का रोगों को दूर भगाने में भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. खाना खाने के बाद और मुंह का जायका बनाये रखने के लिए पान बहुत ही कारगर है. कई बीमारियों के उपचार में पान का इस्तेमाल लाभप्रद माना जाता है.


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