Sunday, June 3, 2018

लीची हो तो मुजफ्फरपुर की हो, वरना ना हो

टेस्ट ऑफ बिहार4पटना
लीची हो तो मुजफ्फरपुर की हो नहीं तो और जगहों की लीची में वो स्वाद कहां? वो रसीलापन कहां जिसमें स्वाद के शौकीन डूब जाते हैं. ब्रांड बिहार का प्रमुख एंबेसडर लीची पूरे देश में टेस्ट ऑफ बिहार को स्थापित करता है. सबसे बढ़िया किस्म की लीची बिहार में मुजफ्फरपुर के बागानों की सौगात है. इनका कंटीला छिलका आसानी से उतारा जा सकता है और भीतर वाली गुठली भी बहुत पतली- नाम मात्र की ही होती है. सुगंध और मिठास के तो कहने ही क्या! मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ-साथ अन्य वीआईपी लोगों को भी जिला प्रशासन के द्वारा गिफ्ट के रूप में भेजी जाती है.
लीची में कैल्शियम के साथ  प्रोटीन और फास्फोरस
लीची के पेड़ की ऊंचाई मध्यम होती है. पूर्णतः पकने के बाद लीची का रंग गुलाबी और लाल हो जाता है. लीची के अंदर दूधिया सफेद भाग विटामिन सी से युक्त होता है. लीची में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन खनिज पदार्थ फास्फोरस आदि पाए जाते हैं. जिसके वजह से इसका उपयोग स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., रस, लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है. मुजफ्फरपुर में दो तरह की लीची पैदा होती है. जिसमें शाही लीची सबसे मशहूर है. शाही लीची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चाइना लीची के मुकाबले काफी बड़ी होती है और सबसे पहले पककर तैयार हो जाती है. हालांकि गर्म हवाओं और नमी नहीं होने के कारण शाही लीची का फल अकसर फट जाता है. ऐसे में वो चाइना लीची के आकार से थोड़ा छोटा होता है वहीं चायना लीची में फल फटने का खतरा नहीं रहता है. आम के महीने में चाइना लीची पूर्णतः पककर तैयार होती है. यह शाही लीची के मुकाबले अत्यधिक मीठी होती है.
नालंदा विश्वविद्यालय के कारण बिहार पहुंची लीची
मुजफ्फरपुर की लीची बहुत मशहूर है, लेकिन पहले-पहल भारत में यह चीन से आया था. मशहूर बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के साथ लीची बिहार आया. जो कई बरस नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र रहे थे. माना जाता रहा है कि लीची का मौसम चेरी, शहतूत और जामुन की तरह बहुत छोटा होता है. यानी इसका आनंद आप बहुत दिनों तक नहीं ले सकते हैं. शुरू में हर फल महंगा होता है और पहले-पहल बाजार में पहुंचनेवाला फल स्वादिष्ट भी अधिक नहीं होता. अतः और भी ज्यादा सतर्क रहने की दरकार होती है. लीची के अधिकांश शौकीन टिन में बंद पहले से छिली, गुठली निकाली हुई लीची से संतुष्ट हो लेते हैं. पर ढेरों ठंडी की लिची को खुद छीलकर निबटाने का मजा ही कुछ और है. नयी पीढ़ी लीची के शरबत, आइस्क्रीम आदि से ही परिचित है. चीन में भोजनोपरांत अवश्य लीची को वनीला आइस्क्रीम के साथ परोसने का रिवाज है.

No comments:

Post a Comment