Friday, June 22, 2018

बेहतरीन गंध और हो गूदेदार तो समझो ये है दीघा का दूधिया आम

-बिहार में आम का राजा है दूधिया मालदह
टेस्ट ऑफ बिहार4पटना.
अभी मौसम फलों का राजा आम का है. हम टेस्ट ऑफ बिहार कॉलम में पहले भागलपुर के जर्दालू आम की चर्चा कर चुके हैं लेकिन इसी आम के मौसम में दीघा, पटना के दूधिया आम के जिक्र के बगैर आम पर चर्चा पूरी नहीं हो सकती है. मालदह की एक ख़ास वेराइटी पटना के दीघा इलाके में उपजती है और इलाके के नाम पर ही इसका नाम भी दीघा मालदह है. यह वेराइटी अपने मिठास, खास रंग, गंध, ज्यादा गूदा और पतली गुठली और पतले छिलके के कारण मशहूर है. पटना के दीघा घाट के मालदा आम की खुशबू और मिठास के दीवानें देश-विदेश तक फैले हैं. मालदा आम की मिठास और खुशबू की वजह से हर साल अमेरिका, यूरोप, दुबई, स्वीडन, नाइज़ीरिया, इंग्लैंड आदि देशों में रहने वाले लोग इसे वहां मंगवाते हैं. महाराष्ट्र, यूपी, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान आदि राज्यों में भी मालदह आम के कद्रदानों की भरमार है. भले ही अलफैंसों को आम का राजा कहा जाता हो लेकिन बिहार खासकर मगध में तो दीघा के दुधिया मालदा को ही आम का राजा माना जाता है. यह आम, आम लोगों के साथ-साथ मंत्रियों, नेताओं, उद्योगपतियों, सेलिब्रेटी के यहां भी भेजा जाता है.

पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद इस आम के बड़े शौकीनों में से थे.
देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को दीघा मालदह बहुत पसंद था. जब राजेंद्र बाबू दिल्ली में थे तो वे अक्सर दीघा मालदह को याद किया करते थे. जिस साल 1962 में वे पटना लौटे उस साल दीघा मालदा की बहुत अच्छी फसल हुई थी. सदाकत आश्रम के आगे काफी दूर तक सड़क के दोनों ओर आम के बगीचे थे. उस वक्त भी लोग बागानों से कच्चे आम तोड़वा कर लाते थे और उसे घर में कागज पर या चावल की बोरियों में रखकर पकाते थे.  साठ के दशक में तब आम किलो के भाव नहीं गिनती से बेचे जाते थे. तब एक रुपए में बारह से चौदह आम तक मिल जाते थे. वहीं इस ख़ास आम के स्वाद को याद करते हुए वे कहते हैं कि आम मुंह में डालते ही कुछ बहुत अच्छी चीज़ का अहसास होता था. दीघा ठीक गंगा नदी के किनारे पर बसा इलाका है. दीघा मालदह के जो चंद बागान अब भी बचे हैं उनमें बिहार विद्यापीठ का बागान भी है. यह वही विद्यापीठ है जहां राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने गुजारे थे.

No comments:

Post a Comment