Sunday, March 4, 2018

स्वाद में सौंधापन बरसा, तो समझो ये है मगध का अनरसा



पटना. मगध में मिलने वाला अनरसा आजकल भले देश के कई हिस्सों में मिलता हो लेकिन इस बिहारी टेस्ट की पहचान पटना, नालंदा, गया, नवादा और जहानाबाद जिले से ही है. मगध मध्यकालीन भारत में भारत का राजधानी थी इस कारण इस इलाके में शहरी संस्कृति काफी लंबे समय तक विद्यमान रहा. शहरी संस्कृति के कारण यहां कई नये पकवानों ने जन्म लिया था. ये नये पकवान यहां की जमीन पर उपजने वाले फसलों से बनाये गये और इसके साथ ही बाहर उपजने वाले अनाजों के साथ भी काफी प्रयोग किया गया. अनरसा भी उसी में से एक है. यह चावल से बनाई जाती है, इसमें चावल के आटे का प्रयोग होता है, दही और घी के साथ तिल भी प्रयोग में आते हैं. गर्म-गर्म अनरसे खाने में बेहद कुरकुरे और साैंधे होते हैं. ये बच्चे हों या बड़े सभी को बहुत पसंद आते हैं. यह आपको सभी मौसम में मिलते हैं. खोया मिल अनरसा आपको ठंडा होने पर भी काफी लजीज लगता है. यह लंबे समय तक टिकने वाला डिश भी है.
चावल को तीन दिनों तक भिंगोकर बनाया जाता है अनरसा
अनरसा के कारीगर शंभू राउत बताते हैं कि अनरसा बनाने के लिए सबसे पहले चावल को साफ करके धोकर 3 दिनों के लिए भि‍गो दिया जाता है. लेकिन हर 24 घंटे के बाद उनका पानी बदलते रहना जरूरी है. 3 दिन बाद चावलों को एक बार और धो लें और फिर उनका पानी निकाल कर उन्हें किसी छायादार स्थान पर सूती कपड़े के ऊपर फैला दें. जब चावल का पानी सूख जाए, पर नम बने रहें तो मिक्सर में मोटा-मोटा पीस लें. अब चावल का आटा, शक्कर का पाउडर, दही, घी को आपस में मिला लें और थोड़ा कड़े आटा की तरह गूंथ कर इसे गीले कपड़े से 12 घंटे के लिए ढंक कर रख दिया जाता है. आटे की छोटी-छोटी लोई बना लें और उन्हें तिल के ऊपर रख कर घुमा कर चारों ओर तिल लिपट जाए. इसके बाद एक कढ़ाई में घी गरम करें. घी गरम होने पर आंच मीडियम कर दें और उसमें अनरसे की गालियों को डाल कर उलट-पुलट कर लाल होने तक तल लें. अनरसे की स्वादिष्ट मिठाई तैयार है. इसके बीच में खोया भरकर और स्वादिष्ट अनरसे का भी मजा ले सकते हैं.

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