Saturday, March 3, 2018

मिथिला की समझनी हो तासीर तो खाइए मखाने की खीर


टेस्ट ऑफ बिहार, पटना
मखाना. यह नाम आते ही आपको मिथिला क्षेत्र की याद हो आयेगी. एेसा इसलिए है क्योंकि दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सर्वाधिक उत्पादन होता है. आंकड़ों के अनुसार मखाना के कुल उत्पादन का 88% बिहार के इन्हीं जिलों में होता है. मखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में होता है. मखाने खाने में इतने पसंद होते हैं कि कुछ लोग इसे भूनकर खाते हैं तो कुछ लोगों को इस की खीर बहुत पंसद होती है. मखाने की खीर बना कर आप व्रत में खा सकते है. मखाने के पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं इस कारण इसे बच्चो को भी बनाकर दिया जाता है. मखाने की खीर बनाने वाली एेश्वर्य कहती हैं कि इसे बनाना बहुत आसान होता है. पहले मखाने को काट कर रख लें. एक कड़ाही गरम करके, उसमे घी डालें. अब कटे हुए मखाने को कड़ाही में डालकर भून ले. अब दूसरे गहरे बर्तन में दूध और मखाना डालकर उबालें. जब उबाल अ जाए तो गैस धीमा करके चलाते हुए पकाएं. दूध जब थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो उसमे चीनी, इलायची पाउडर, बादाम, चिरौंजी और काजू डालकर चलायें.10 मिनट तक पकने के बाद गैस बंद कर दें. थोड़ा ठंडा होने पर बादाम उपर से डालकर सर्व करें. 
औषधीय गुणों से होता है भरपूर
शोध छात्र शैलेंद्र बताते हैं कि तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगने वाला मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है.  मखाने में 9.7% आसानी से पचनेवाला प्रोटीन, 76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति सौ ग्राम 1.4 मिलीग्राम लौह पदार्थ मौजूद होता है. इसमें औषधीय गुण भी होता है. इसी कारण 28 फ़रवरी 2002 को दरभंगा के निकट बासुदेवपुर में  राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गयी थी. दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है.


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