Saturday, February 10, 2018

बिहारशरीफ में वादों की नहीं बेहतरीन स्वाद की रेवड़ियां

  
टेस्ट आॅफ बिहार, पटना. 
चुनाव में आपने नेताजी के वादों की कड़वी रेवड़ियां तो खूब चखी होगी लेकिन नालंदा जिले के मुख्यालय बिहारशरीफ में मिलने वाली मीठी और बेहतरीन स्वाद वाली रेवड़ियों का स्वाद नहीं चखी है तो उसे जरूर आजमा सकते हैं. बिहारशरीफ के गढ़ पर और रामचंद्रपुर में मिलनेवाली रेवड़ियों के स्वाद बरसों से अपनी धाक जमाए हुए है. यहां करीब सौ सालों से रेवड़ी बनायी और बेची जाती है. यहां की रेवड़ी इस कदर पूरी दुनिया में मशहूर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर रेवड़ी, गजक का कारोबार लाखों में होता है. रेवड़ी बनाने वाले कारीगरों के अनुसार, पहले गुड़ को भट्टी पर तेज आंच में पकाया जाता है. गुड़ की चासनी बनाते समय उसमें घी मिलाया जाता है. चासनी जब पककर तैयार हो जाती है तो उसे ठंडा किया जाता है. ऐसे में ठंडी चासनी को इकट्ठा कर उसे फिर मथने का कार्य किया जाता है. चासनी को जितना मथा जाता है उसका स्‍वाद उतना ही बढ़ता है. ठंडी होने के बाद चासनी रबड़ की तरह खिंचती है.
छोटे-छोटे गोल टुकड़े बनाए जाते हैं
देवी सराय के रहने वाले स्वाद के कद्रदान अजीत कुमार पांडे बताते हैं कि इस तैयार माल को अच्छी तरह मथने के बाद उसके रोल बनाए जाते हैं. रोल के छोटे-छोटे टुकड़े काटे जाते हैं. इन टुकड़ों को हल्की आंच में गरम तिलों में मिलाया जाता है. कढ़ाई के अंदर हल्की आंच पर गरम हो रहे तिलों के साथ गुड़ रोल के इन छोटे-छोटे टुकड़ों को तब तक मिक्स किया जाता है जब तक तिल गुड़ रोल के टुकड़े में पूरी तरह मिक्स नहीं हो जाए. तिल मिलने पर यह गुड़ का छोटा सा रोल रेवड़ी की शक्ल ले लेता है.

बीमारियों को दूर भगाती है रेवड़ियां 
तिल और गुड़ से बनी हुई रेवड़ी, गजक खाने से बीमारियां भी दूर भागती हैं. निश्चित तौर पर तिल और गुड़ की वजह से रेवड़ियां बीमारियों को भी दूर भगाती हैं. सर्दियों में गुड़ का सेवन और तिल का सेवन वैसे भी फायदेमंद होता है. ऐसे में बिहारशरीफ की बनी हुई गजक सर्दियों का एक मशहूर खाद्य पदार्थ बन गया है. यह टेस्ट इस इलाके में संदेश के तौर पर शहर दर शहर पूरे देश में जाता रहा है. अभी इसकी दर सौ रुपये प्रति किलो से दो सौ रुपये किलो के बीच में है.

No comments:

Post a Comment