Saturday, November 17, 2018

तीखा नहीं बड़ा मीठा है बेतिया का मिर्चा चूड़ा



रविशंकर उपाध्याय®पटना.
बेतिया पश्चिमी चंपारण जिले का मुख्यालय है जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सबसे बड़े शहरों में से एक है. 'बेतिया' शब्द 'बेंत' से उत्पन्न हुआ है जो कभी यहां बड़े पैमाने पर उत्पन्न होता था लेकिन अब यह नगर बेंत से नहीं जाना जाता है. बेतिया नाम आते ही यदि कुछ सबसे पहले याद आता है तो वह है बेतिया राज, महाराजा का भव्य महल और बेहद प्रसिद्ध मिर्चा चूड़ा. भले ही इसके नाम मिर्चा हो लेकिन इसका स्वाद बेहद मीठा है. अंग्रेजी काल में बेतिया राज दूसरी सबसे बड़ी जमींदारी थी जिसका क्षेत्रफल 1800 वर्ग मील थी. कहते हैं इससे उस समय 20 लाख रुपये लगान मिलता था. हरहा नदी की प्राचीन तलहटी में स्थित इस शहर में महात्मा गांधी ने बेतिया के हजारी मल धर्मशाला में रहकर सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी.
चूड़ा के दो ही बिहारी ब्रांड मिर्चा चूड़ा और कतरनी
यह तो हम सब जानते हैं कि बिहार में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है और भागलपुरी कतरनी के साथ ही बेतिया का मिर्चा चूड़ा बेहद प्रसिद्ध है. बेतिया के नौतन, मझौलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, सिकटा, मैनाटांड़, रामनगर व बगहा समेत दोन क्षेत्र में मिर्चा धान की बंपर पैदावार होती है और इसके बाद यहां का मिर्चा चूड़ा पूरे प्रदेश में अपनी खुशबू बिखेरता है. मिर्चा धान बेतिया क्षेत्र का सबसे पसंदीदा धान है. भले ही इसके उत्पादन को लेकर नये नये प्रयोग चल रहे हैं पर आज भी देश-विदेश में रहने वाले लोग जब वापस आते हैं तो बेतिया से मिर्चा चावल और चूड़ा जरूर ले जाते हैं. दूरदराज में रहने वाले परिजन भी त्योहार व महत्वपूर्ण अवसरों पर अपने संगे-संबंधियों से उपहार के रूप में मिर्चा चूड़ा व चावल की मांग करते हैं. इससे यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिर्चा की सुगंध व स्वाद के प्रति लोगों में कितना आत्मीय लगाव है.

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